Hindi Poetry

Faiz Ahmed Faiz – Hawase manzilein laila na tujhko hai na mujhe


हवसे-मंज़िले-लैला न तुझे है न मुझे

हवसे-मंज़िले-लैला न तुझे है न मुझे
ताबे-सरगरमी-ए-सहरा न तुझे है न मुझे

मैं भी साहल से ख़ज़फ़ चुनता रहा हूं, तुम भी
हासिल इक गौहरे-जद्दा न तुझे है न मुझे

छोड़िए यूसुफ़े-गुमगशता की क्या बात करें
शिद्दते-शौके-जुलेख़ा न तुझे है न मुझे

इक चराग़े-तहे-दामां ही बहुत है हमको
ताकते-जलवा-ए-सीना न तुझे है न मुझे

(सहरा=रेगिस्तान, ख़ज़फ़=ठीकरे, गौहरे-जद्दा=
जद्दा का मोती, ताकते-जलवा-ए-सीना=कोहे-तूर
के चमत्कार की शक्ति)