Hindi Poetry Suryakant Tripathi Nirala – Sehaj sehaj kar do December 17, 2023 rhymecloud सहज-सहज कर दो सहज-सहज कर दो; सकलश रस भर दो। ठग ठगकर मन को लूट गये धन को, ऐसा असमंजस, धिक जीवन-यौवन को; निर्भय हूँ, वर दो। जगज्जाल छाया, माया ही माया, सूझता नहीं है पथ अन्धकार आया; तिमिर-भेद शर दो।