Hindi Poetry

Atal Bihari Vajpayee – Jhuki na alkein

झुकी न अलकें
झपी न पलकें
सुधियों की बारात खो गई
रोते रोते रात सो गई

दर्द पुराना
मीत न जाना
बातों ही में प्रात हो गई
रोते रोते रात सो गई

घुमड़ी बदली
बूंद न निकली
बिछुड़न ऐसी व्यथा बो गई
रोते रोते रात सो गई