Suryakant Tripathi Nirala – Liya diya tumse mera tha
लिया-दिया तुमसे मेरा था लिया-दिया तुमसे मेरा था, दुनिया सपने का डेरा था। अपने चक्कर से कुल कट गये, काम
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लिया-दिया तुमसे मेरा था लिया-दिया तुमसे मेरा था, दुनिया सपने का डेरा था। अपने चक्कर से कुल कट गये, काम
Read Moreगीत गाने दो मुझे तो गीत गाने दो मुझे तो, वेदना को रोकने को। चोट खाकर राह चलते होश के
Read Moreसहज-सहज कर दो सहज-सहज कर दो; सकलश रस भर दो। ठग ठगकर मन को लूट गये धन को, ऐसा असमंजस,
Read Moreछोड़ दो, न छेड़ो टेढ़े छोड़ दो, न छेड़ो टेढ़े, कब बसे तुम्हारे खेड़े? यह राह तुम्हारी कब की जिसको
Read Moreकौन गुमान करो जिन्दगी का कौन गुमान करो जिन्दगी का? जो कुछ है कुल मान उन्हीं का। बाँधे हुए घर-बार
Read Moreये दुख के दिन काटे हैं जिसने ये दुख के दिन काटे हैं जिसने गिन गिनकर पल-छिन, तिन-तिन। आँसू की
Read Moreवासना-समासीना, महती जगती दीना वासना-समासीना, महती जगती दीना। जलद-पयोधर-भारा, रवि-शशि-तारक-हारा, व्योम-मुखच्छबिसारा शतधारा पथ-हीना। ॠषिकुल-कल-कण्ठस्तुति, दिव्य-शस्य-सकलाहुति, निगमागम-शास्त्रश्रुति रासभ-वासव-वीणा।
Read Moreनव तन कनक-किरण फूटी है नव तन कनक-किरण फूटी है। दुर्जय भय-बाधा छूटी है। प्रात धवल-कलि गात निरामय मधु-मकरन्द-गन्ध विशदाशय,
Read Moreघन तम से आवृत धरणी है घन तम से आवृत धरणी है; तुमुल तरंगों की तरणी है। मन्दिर में बन्दी
Read Moreक्यों मुझको तुम भूल गये हो क्यों मुझको तुम भूल गये हो? काट डाल क्या, मूल गये हो। रवि की
Read Moreपाप तुम्हारे पांव पड़ा था पाप तुम्हारे पांव पड़ा था, हाथ जोड़कर ठांव खड़ा था। विगत युगों का जंग लगा
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