Hindi Poetry

Atal Bihari Vajpayee – Yog, Prayog, Niyog

योग, प्रयोग, नियोग
की चर्चा सुनी अपार;
रोग सदा पल्ले पड़ा,
खुला जेल का द्वार;
खुला जेल का द्वार,
किया ऐसा शीर्षासन;
दुनिया उलटी हुई,
डोल उट्ठा सिंहासन;
कह कैदी कविराय,
मुफ्त की मालिश महंगी;
बंगलौर के अस्पताल
की याद रहेगी।