Gulzar – Itna lamba kash lo yaaro
इतना लंबा कश लो यारो, दम निकल जाए
ज़िन्दगी सुलगाओ यारों, ग़म निकल जाए
दिल में कुछ जलता है, शायद धुआँ धुआँ सा लगता है
आँख में कुछ चुभता है, शायद सपना कोई सुलगता है
दिल फूँको और इतना फूँको, दर्द निकल जाए
ज़िन्दगी सुलगाओ यारों, ग़म निकल जाए
तेरे साथ गुजारी रातें, गरम गरम सी लगती हैं
सब रातें रेशम की नहीं पर, नरम नरम सी लगती हैं
रात ज़रा करवट बदले तो, पर निकल जाए
ज़िन्दगी सुलगाओ यारों, ग़म निकल जाए