Hindi Poetry

Gulzar – Neele neele se shab ke gumbad mein

नीले-नीले से शब के गुम्बद में

नीले-नीले से शब के गुम्बद में
तानपूरा मिला रहा है कोई

एक शफ़्फ़ाक काँच का दरिया
जब खनक जाता है किनारों से
देर तक गूँजता है कानों में

पलकें झपका के देखती हैं श’में
और फ़ानूस गुनगुनाते हैं
गुनगुनाती हैं बिल्लौर की बूँदें

तेरी आवाज़ पहन रखी है कानों में मैंने

(शफ़्फ़ाक=निर्मल)